

ङीङवाणा-कुचामन जिले के निमोद कस्बे की कोमल मेघवाल ने बेकार पड़े,काग़ज़,पोलीथीन, ओर अन्य वेस्ट मेटेरियल से सुन्दर ओर उपयोगी सजावटी वस्तुएँ बनाकर पर्यावरण संरक्षण का अनुपम उदाहरण पेश की है। तीन साल पहले उन्होंने शौक के रूप में कला शुरू की थी जो कि अब कोमल को जुनून बन चुका है। कोमल वेस्ट मेटेरियल से फूल,जानवरो की आकृतिया, पेन स्टैंड, शोपीस,फोटो फ्रेम आदि वस्तुए बनती है जो कि पर्यावरण संरक्षण एवं स्वच्छता का संदेश देती है, कोमल की इस अनोखी पहल से न केवल कचरे का पुनः उपयोग होता है ब्लकि समाज को भी प्रेरणा मिलती है। कोमल मेघवाल का मानना है कि कला केवल सजावट ही नही ब्लकि पर्यावरण बचाने का जरिया है। इनकी रचनात्मक कला की सराहना गांव ही नहीं आस पास के क्षेत्रों में भी हो रहीं हैं, लोग विशेष रूप से इनके घर आकर इनकी बनाई हुए वास्तुओ को देखना पसंद करते है। ग्रामीणों का मानना है कि सरकार को कोमल जैसे युवाओं को प्रोत्साहित करना चाहिए। कोमल मेघवाल की कहानी
सिर्फ एक कलाकार की नहीं ब्लकि ग्रामीण प्रतिभाओ को पहचान दिलाने की जरूरत है।